Wednesday, August 18, 2021

Hannibal and his Alps Campaign -एक सैन्य अभियान जो की मुश्किल नहीं लगभग असंभव था।

 आपने युद्ध के कई जिक्र सुने होंगे. क्या उनमें कभी आपने सुना है कि कोई सेनानायक भारी भरकम हाथियों को लेकर पहाड़ पार कर युद्ध मैदान में पहुंचा हो...वो भी कई सालों तक हजारों किमी की यात्रा करते हुए..?

जी हां! ऐसा कारनामा कर्थोज के महान योद्धा व सेनानायक हन्निबल बरका ने किया था. हन्निबल बरका इतिहास में एक ऐसा नाम है, जो एक निडर योद्धा के रूप में याद किया जाता है. उन्होंने एक लड़ाई में अपनी सेना की अगुवाई करते हुए 70 हजार रोमन सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था. इनकी जाबाज़ी और दिलेरी की वजह से वक़्त के शक्तिशाली रोमन साम्राज्य के शासक भी खौफ खाते थे. इन्हें रोम से सबसे अधिक नफरत करने वाले इंसान के रूप में देखा जाता है. ऐसे में कर्थोज राज्य के इस सेनानायक से जुड़े रोचक किस्सों के बारे में जानना दिलचस्प रहेगा. तो आइए कार्थागिनीन कमांडर हन्निबल बरका की जिंदगी से रूबरू होते हैं – युद्ध के लिए हन्निबल अपने अधीन राज्यों के सैनिकों को भी अपनी सेना में शामिल करना शुरू कर दिए. उन्होंने युद्ध के लिए आल्प्स का रास्ता चुना, क्योंकि यह रास्ता ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों के साथ बर्फीली चट्टानों से होते हुए रोमन क्षेत्र से मिलता था. रोम सम्राटों ने कभी नहीं सोचा था कि इस कठिन व भयानक रास्ते से हन्निबल अपने सैनिकों के साथ रोम में प्रवेश करेगा. हन्निबल को रास्ते में हिस्पैनिया सैनिकों का भी सामना करना पड़ा, जो कर्थोज के ही प्रति बड़े वफादार थे. अंत में हन्निबल ने उन सैनिकों को भी अपनी इच्छानुसार कर्थोज सेना में शामिल होने का न्योता दे डाला. इतिहासकारों की मानें तो हन्निबल ने लगभग 38 हजार पैदल सेना, 8000 घुड़सवार, और 37 हाथियों की एक सेना के साथ अल्पस के रास्ते युद्ध करने निकल पड़े थे.उन्होंने कुछ बचे सैनिकों को रिजर्व में अपने भाई मगो व भांजा हनो के नेतृत्व में अपने क्षेत्र में छोड़ दिया था. एक बात तो तय है कि किसी भी सेना के लिए लगभग 3000 किमी ऊँची पहाड़ी व खतरनाक रास्तों का सफर तय करना बड़ा मुश्किल काम था. मगर, हन्निबल के जोरदार भाषणों व जोश से कर्थोज सैनिकों को बहुत प्रोत्साहन मिला. तभी ऐसा संभव हो सका कि पैदल व घुड़सवार सैनिकों के साथ ही हाथियों की सेना भी इन पहाड़ों पर चढ़ाई करते हुए सफर शुरू कर सकी थीं. उस दौरान सर्द के मौसम में कपकपाती ठंड से सेना को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. बहरहाल, कई सालों बाद खतरनाक स्थानों को पार करते हुए हन्निबल अपनी सेना के साथ रोम में प्रवेश करने में सफल हुए. मगर, अफ़सोस इस सफर के दौरान हन्निबल के कई हजार सैनिकों ने अपनी जान गवां दी थी. इस लड़ाई में ही उन्होंने अपनी एक आँख भी गवा दी थीं. Note-ALL THE IMAGES /PICTURE SHOWN IN THIS VIDEO BELONGS TO THE RESPECTED OWNERS AND NOT TO ME … I AM NOT THE OWNER OF ANY PICTURES SHOWN IN THE VIDEO. Copy right disclaimer under section 107 of the copyright act 1976, allowance is made for “fair use” for the purpose such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship and research, fair use is a use permitted by copyright statue that might otherwise be infringing. Non-profit, educational or personal use tips the balance in the favor of fair use.

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